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Raja Malsaai

दोस्तों आपने बहुत सी प्रेम कथाये सुनी होंगी जैसे हीर-राँझा, लैला-मजनू आदि। यह कहानी भी इन्ही की तरह अमर कहानी है।  इस कहानी का नाम है राजा मलसाई । यह एक विचित्र प्रेम कथा है जिसमे की प्रेमी व प्रेमिका कभी मिले भी नहीं लेकिन वो दोनों एक दुसरे के स्वप्न में अत
आये और फिर हुई उनकी प्रेम कथा। जिसे अपने शब्दों में ढालकर श्री बगगिरी गोस्वामी जी ने ठा० आनंद सिंह हरी सिंह एंड सन्स के साथ मिलकर जनता के सामने प्रकाशित किया।
और आज यहाँ पर मै उन्ही की पुस्तक "राजा मलसाई विनोद" ग्यारहवे संस्करण से पर्स्तुत कर रहा हू, यदि कोई भूल या त्रुटी हो तो क्षमा प्रार्थी हू।



राजुला 
पञ्च नामा देवा तुम, है जया दयाल।     
गरीब पुकार पर, करी दिया ख्याल।।
विष्णु भगवाना मेरी, सुणिया पुकार। 
हाथ जोड़ी अर्ज करनू तुमरा दरबार।।
ब्रह्मा जी महेश गौरा, मेरी नमस्कार।
शीश नवै हाथ जोड़ी, करनू पुकार।।
गणेश जी विनती कनू, हाथ जोड़ी बेरा।
विघ्न दूर करी दिया, तुमरी मेहरा।।
हिरदया सुमरण, सरस्वती माई।
तमाम विघ्नू कणी, तुम दिया टाई।।
तुमरा भरस परा, कलमा उठानू।
राजा मालसाई को मै, बर्णन कनू।।
जो कुछ गलती हली, माफ़ करी दिया।
मूरख अज्ञान कणी, बाट बतै दिया।।
नौ लाख कत्यूर कौ मै, करनू सुमरणा।
जतु देवा साथ छिया, सबू की सरणा।। 
श्री बागनाथ मेरी, धरी दिया टेरा।
हरिद्वार सुमरण, ध्यान धरी बेरा।।
जतुक नामां देव, हाथ जोड़ी ध्यान।
दयाल है जया तुम, देवता नमन।।

धन धन प्रभु, धनं धन माया।
कतुकुलै जनम लिया, कतू मरी गया।।
पैलि बटी चली आया, कुम्भ हरिद्वारा।
अस्नाण कण औछो सारै संसारा।।
हरिद्वार नाण आय, सुनपत सौक।
गांउली की साथ मजा, कुम्भ कौछी मौका।।
भोटौ को कौ मुलुक वीक, भोटान्त कौ देश।
अस्नाण कण आय, हमरा लै देश।।
हरिद्वार महिमा कै, आपारा बतानी।
ईश्वरा भगवाना जबा, दयाल है जानी।।
विदेशी मुलुक आय, सजी धजी बेरा।
गांउली सिंगार देखि, क्या कनू कै बेरा।।
गज कौ धम्यल वीक, पशमीण शाल।
भोटमा बतानी भाई, भौत धन माल।।
मखमल कपड़ छै, फ़न्द रेशम का।
सर मई बिंदुली वीकी, चुड़िया सुनका।।
नाक मै बुलांग वीकी, बुन्दा कानो परा।
छातीमा जंजीर छाजी, गला मजा हारा।।
दशा लै उंगली मजी, बीस छै मुनड़ी।
पुन्यो कसी जून हैरै गांउली मुखड़ी।।
सुतली धागुली सबा माँग मा सिन्दूरा।
सुनका पौजिया हैला सब भरपूरा।।
सुनकी नथुली मज मीती छ जड़िया।
जतुक जेवर हय, सब लै बढ़िया।।
सबा आभूषण पैरी कपड़ा बढ़िया।
इकुलै वा बैठी रयी, निछा दगड़िया।।
गांउली सूरत देखि सब तरसनी।
धन धन यौ तिरिया मन मनै कनी।।
गांउली सिंगार देखि दिल धड़  कूछा।
जाकी लै नज़र लागी देखियै रै जांछा।
धन धन तू तिरिया धन त्यर भाग।
धन धना इज बाज्यू, धन छा सुहाग।।
गांउली सूरत कणी ऐसी लै बतानी।
ज्याणी कासी हनली ऊ समझ निआनी।।
रूप रंग वीक भलौ, जलै कर दाना।
जो जसा करमा कौल, वीक अनु ना।।
इनै दिनों गिवाड़ में, कत्यूर लै रजा।
खाती ज्यू की च्यलि हयी, धर्मा देवी नाम।
आज तक चली रौछा, दुनिया में नाम।।
खाती ज्यू लै धर्मा ब्याहै, धर्म देव कणी।
ईश्वरा का हाथ हयो, सबता करणी।।
अब तुम अघीला का सुणिया बयान।
दयाल है जया तुम, ईश्वरा भगवन।।
श्रीचंद रजा तबा, भारमाली कोटा।
सब दुःख दूर हैजो, सब करमकौ खोटा।।
नामी नामी राजा हैरै, ठुलौ करोबार।
आपण इलाक मजा, है रयी जिहार।।
सब झण नाण आया, कुम्भ हरिद्वार।
सैण आया साथ मजा, ख़ुशी छै अपार।।

भरमाली कोट बटी जब, श्रीचन्द्र जबा।
घर बटी हरिद्वार बट्टा लगा तबा।।
अधी रस्ता मजा हैगे, द्वि कणी।
स्यौ सलाम हैई गेछा, भेटणी घाटणी।।
द्विया रजा बटा पना ऐसी कनी बाता। 
हरिद्वार तक हय, यौ हमर साथा।।
राजी ख़ुशी पुजी गयी हरिद्वार जबा।
सुनपता सौका उती, बैठ रौछा तबा।।
गांउली मै लागी गेछा, द्वियो की नजरा।
बिगड़ी गे होश तबा, ऐगोछा चक्करा।।
जरा देर मजा तबा, सचेत है जानी।
द्विया झण आपस में, ऐसी बात कनी।।
पागल हय गोय हमा, देखि इनी गाता।
कैकियो तिरिया हली, क्या हनिला जाता।।
कसीता करनू इनी हणी बाता।
को इनी मुलुक हल, कति हली थाता।।
यसिका सूरत हयी, कसी छा भागीणी।
मितरामी हई जानी, इनिका दगड़ी।।
वीकी औलाद हली, सूरज समाना।
दयाल है जया तुम, ईश्वरा भगवाना।।
वीकी यो च्यली हनी, हम ब्यहै ल्याना।
ईश्वर भगववान तब, दयाल है जाना।।
यो कसी जून हई, इनी की मूरत।
कति बटी उड़ी आई, मोहनी सूरत।।
दिया झणा नसी गयी, सुनपतै पासा।
मितरामी कुल कबै करी रीछा आशा।
सुनपत सौक हणी, ऐसी कनी बाता।।
क्या तुमरौ नामा भैया, क्या तुमरी जाता।।
कतू दूर बटी आया, नाण हरिद्वारा।
को तुमर देश हल, क्या करछा कारा।
सुनपत सौक कोछा, सुण मेरी बाता।
भोटक मुलुक म्यर, सौक मेरी जाता।।
गांउली सौक्याण मेरी, सुनपत नामा।
भोटान्त का देश मजा, लदानक कामा।
औलाद कारण आयो, नाण हरिद्वार।
घरा कणी हमर छा, भारी करोबरा।।
ज्या करीला हरिद्वार, हरी ज्यू मेहरा।
ईश्वर भगवाना जबा, धरी दिला टेरा।।
अब तुम बतै दिया, पतौ लै अपणौ।
क्या करछा कामा तुम, सब बतै दीणौ।।
श्रीचंद्र राजा कनी, प्योला मेरी राणी।
बाटा पना भेट है गे, खाती ज्यू दगड़ी।।
उनरी यूं राणी हली, सिलोर का राजा।
श्रीचन्द्र नाम म्यर, करनू अरजा।।
भर माली कोटा म्यर पछौक मुलुक।
कारा बारा बड़ो भारी बैराठ ईलाक।।
हम लग आई रयु औलाद कारण।
मितरामी करी ल्युला करी वै परण।।
ऐसी बाता रैछा आपस लै मजा।
सुनपता सौका तबा करुछ अरजा।।
सुनपता सौक कोंछी बाता।
मितरामी केकी कूला कैकी नि औलादा।।
कैका लग नीता हया आजी नना तीना।
जुमानता कर ल्यला ज्यौ हल पछीना।।
एति बटी हयी जाली हमारी जुमाना।
दयाल है जला जब ईश्वरा भगवाना।
अस्नान करी बटी सब घर गया।
हरिद्वार बटी आया मितरामी कै गया।।
सुनपत भोट हणी बटा लागी गोय।
तबा वेका दिल मजा ख्याल आई गोय।।
जुमानता करी आयु पछ्यु दगड़ी।
जब हयी जाली गंगा हमारी चेहेड़ी।।
कसिका रहली गंगा मुलुक पछौका।
उनिको मुखड़ी हम देखुला कसिका।।
धौ दैखड़ी हला गंगा बारा लै त्योहारा।
सुनपता कणी हैगे चेली की फिकरा।।
बड़ो अफसोचा हय अब आयो ज्ञाना।
राता दिन पुकारू छा ईश्वरा भगवाना।।
सोचू मजा याद कुछ श्री बगनाथा।
अरज करुछ तबा जोड़ी बेरा हाथा।।
जसा कला ज्य करला हरी भगवाना।
आज प्रभु तुम म्यर धरी दिया माना।।
म्यर ता सौंरासी हया सैणी का मैतूबा।
जोता नान हल आवा वीक मकोटिया।।
ज्य करला बागनाथ च्यल है जो च्यल।
ठुल हुई जाल जब पूज तब द्यला।।
धरि दिया आज तुम मेरी पति कणी।
रात दिन च्यलै की रै फिकर मैकणी।।
च्यल है जो च्यल म्यर श्री बागनाथा।
अरज करनू स्वामी जोड़ी बेर हाथा।।
होनहार ह्वै रैंछा भगवाना हाता।
आघिलै को तुम आबा सुणि लियो बाता।।
थोड़ा दिना मजा तबा हरी जी मेहर।
गांउली के मास हैगी सुन्पट घर।।
धरमा दे कणी दसौ मास लैगो।
धामद्ध्यो कौ बैराठ में पैली च्यल हैगो।।
बाद मजा गांउली की हई गेछा चेली।
मन मन सुनपत तबा गोंछा जली।।
क्य हणी तू चेली लै यां जनमा।
हरिद्वार ,जा मैलै जो खायी कसमा।।
वीक परसादा लागो वीक लागो भेद।
नीत जानौ हरिद्वार नि हनौ यौ खेद।।
निजानो हरिद्वार जबा तू चेली निहानी।
गाई ढाई देयी बेरा चेली हैता कनी।।
क्यल्का जनम चेली तू हमरा घरा।
तू चेली नि हनी जब नि हनी फिकरा।।
जुमान मै करी रैछो पछौ देश हणि।
ह्य तेरी सूरता अब धौ हली देखणी।।
तेरी मुखड़ी चेली आब धौ हली देखणी।
कसी का ब्यहुला चेली पछौ तैकणी।।
                                       
                            २ 

अबा सुणी लियो आघिलै की बाता।
हरिद्वारा मजा हैगी खाती ज्यू की बाता।।
बुढापी उमरा हयी नन तिन नि हया।
ईश्वरा भगवाना तू दयाल है जया।।
खाती जी की पैली चेली धर्मा देवी नामा।
वचन निभाण मजा आयी गयी कामा।।
जिया की बैराठी मजा नौ लाखा कत्यूरा। 
धर्मा चेल मालसाई दुनिया मसूरा।।
जै बख्त बैराठ मै मालसाई हय। 
सुनक डाकुवा जसौ धर्मा चेल हय।।
कमलक फूल जस धोई कास फाटा।
सूरज उदया हैरौ रंगीलो बैराठा।।
रंगीलो बैराठ मजा मालसाई नामा।
हे नाथा सुफल हैग भगवाना रामा।।
कुछ दिनों बाद भाई सुनपत घरा।
राजुलौ जनम हैगो है रैछ फिकरा।।
सुणी लियो भाई लोगो राजुलै की बाता।
रातक लै दिन हेरौ परसाता।।
सुनपत सौक तबा ऐसी कुछ बाता। 
चेलुक तरफ बटी पड़ी गेछ राता।।
चेली लै जनम लिवै कस दुःख दिया।
विलापा करुछा कौक भरी आय हिया।।
ऐसी जनमो चेली हिरदै  कौ कानौ।
दुःख सुख कैको कैला कसीक निजानो।।
मुखड़ीक तप हैरौ पुन्यो कसी जूना।
पाइङ्ग्कै की आंठी जसी पिरु कसी बुना।।
सुनपत सौक कणी हैगे फिकरा।
इथां उथां कण लाग राजुला जिगरा।।
जहां यौं हमरी चेली उनू लै लिजाणी।
तहां कथै करी द्युला मांगणी जांगणी।।
सगाई है जाली जबा पराया बाना कैला।
मंगिया पै चेली कणी क्य हणी लिजैला।।
मिटी जाल म्यर कान दिल की फिकरा।
पछ्यू है बेरा मैता है जौला निडरा।।
एक चेली हैइ बुडापी उमरा।
दुःख सुख मजा लेली हमरी खबरा।।
वीका ब्यबौला त्यकै मुलुक अपण।
सुनपत जांछ तब बर लै खोजण।।
मेरी नानी हई रैछी आजौ नादाना।
रूप मेरी राजूलक देवी का समाना।।
सरै ढूंढी हाछा तबा भोटिया का देश।
आपण मुलुक द्य्ख हूँणीयोक देश।।
कथै लै नि लागी ब्याऊ की जुगति।
राजुला कारण मैलै की लै भुगुति।।
क्वे बतानी चेली खोटी क्वे बतानी मैती।
खोटी चेली हली एकी तब आया येती।।
या हनली डूंडी काणी लंगड़ी हनली।
निआनौ खोजण बर चेली हनी भली।।
कोत आया बर कै खोजण।
के हनला दोष उमै यत आँख काण।।
सब जग बटी सौक निरासा ज जांछा।
आखिर नगर कोटा सुनपता जांछा।।
बीती एक हय भाई रुढुवा हुणिया।
सुनपत हांती कुछ कतिका जणिया।।
बर मै खोजण आयु सुनपत कुछ।
आपण मनम तबा डुणी ख़ुशी हूँछ।।
आब तुम सुणी लियो हुणिया का हाल।
घट जस सिर वीक गज भरी बाल।।
सुप जसा कान वीका ह्न्का जसा आँखा।
ऊंट जस पूठ वीक चील जसी नाका।।
भैसा कसा उन्ठ वीक मैल की छा ढेर।
ढोल जस पेट हयो तीन गजै फेर।।
यस हय रुदु हणी क्य बात बतानू।
अजीब चलण हय कां तक लेखनू।।
सुनपत सौक हणी यस बाता कनी।
चेली कणी ढुनणाता चेल वाला आनि।।
जो आया ढुनणा तुम खोटी चेली हली।
या हनली डुनी काणी या लंगड़ी लूली।।
सुनपता सौक कुछा सांची कुनी बाता।
लुली बै लंगड़ी चेली कम नि छ जात।।
पैली देखि लियो तुम मेरी नानी कणी।
सरुपा राधिका जसी देखणी चाहणी।।
रुदूवा को बाबा तबा लागो गोय बाटा।
एक हाथ दैकी ठेकी एक हाथ लट्ठा।।
पाइङ्ग की आंठी धरी कनम पशमीणा।
बट्टा लागी गोछा तबा राजुला देखणा।।
तबा आई गोछा हुणी सुनपता घर।
राजुला पै लागी गोछा हुणिया नजर।।
देखिबै हुणिये कणी आई गो चक्कर।
सूरज उदय हैगो सुनपता घर।।
थोड़ी देर मजा सचेत है गोछा।
आपण मनम तब ऐसो बात कौछा।।
धन धन म्यर भागा कसी ब्वारी मिली।
बुडापी उमर मजा रोटी पके देली।।
म्यर लै स्वरगा हल हनी देखि बटी।
भली बाना मिली गेछा क्य कनु कैवटी।।
हुणी तबा बात कुछ सुनपत हांत।
कभणी बरात ल्युला सांची बता बात।।
सुनपता कुछ तबा सुण मेरी बात।
आजी नानी मेरा चेली क्या ल्यलै बरात।।
मांगणी चांगणी कै बै बारात पछीना।
आज बटी हयी गेई य तुमरी बाना।।
मानी गौछा हुणीयाता सुनपाता बाता।
पक्का छा कबूल कुछ सुनपतै हांता।।
बट्टा लागी गोछा पूजी गोछा घरा। 
दयाला है गई कुछा देवता हमरा।।
सुणी ले तू बात कणी सुण चेला म्यरा।
ज्योनै है गई चेला स्वर्ग हमरा।।
भली बाना मिली चेला भली छा सूरता।
क्य बतानु म्यरा चेला मोहनी मूरता।।
उनिकी सूरत देखि चक्कर आ गोय।
ब्वारी कणी देखि चेला चाहिए रे गोय।।
क्या बतानू मेरा चेला सुण सब हाला।
सरूपा राधिका जसी गज भरी बाला।।
च्यल बाप खुसही है रे मन मजा।
कतु साला बीत गई बात-बात मजा।।

                                                     
                                 ३


अब तुम सुणि लियो आघिला बयान।
बैराठ में मालसाई है गौछा जवान।।
धीरे धीरे राजुला तौ है गेछ हुस्यार।
ब्या कणी उमर हैगे दुनियाक कार।।
सुणी लियो भाई लोगो एक दिन बाता।
हूणीता निहुणी हैचा ईश्वरा का हाता।।
दयाल है जया तुम ईश्वर भगवाना।
भोट मजी राजुलता है गेछा जवाना।।
एक दिन राजुला के आधी रात मज। 
कसौ लै देखिछा तबा स्वीणा रथो मज।।
मालसाई दगड़ा छा कनी कुछ बात।
सुण मेरी बातो कणी तिरिया की बात।।
बैराठ स्वीण हैगो मालसाई कणी।
आपस मै बाता है रै द्वि हंसो कणी।।
सुणी ले राजुला कुछ माँ बाबु जुमाना।
सारी बाता बतानू धरी लिए ध्याना।।
त्यर म्यर इजा बाज्यू हरिद्वार गया।
मितरामी कूल कैबै कौला करी आया।।
त्यर म्यर ज्वड़ छा य बितिक परसाद।
ईश्वर दयाल हयी दिलै हैंच याद।।
जय करली कौल कणी जरूर निभाण।
जस हल देखि जल द्वि दिन बचण।।
त्यरता बाज्यू लै तेरी सगाई कै हैचा।
इजा बाज्यू कौल अबा कसिका निभैचा।।
ईश्वरा भगवाना तुम धरी दिया पति।
हरिद्वार कौल छिया तब आयो यति।।
खान दान की तू हली सुनपत चेली।
जस हल देखि जाल बचन निभली।।
चेली हली मानी जाली निमानली जब।
तिकणी ब्यवहुला सुधा भोटा साधि तब।।
ब्या है जाल त्यर म्यर वचन निभल।
त्यर म्यर ओ राजुला कस ज्वड़ हल।।
भोट मज राजुला ता जागत है गेछा।
बैराठ मै मालसाई नींन टूटी गेछा।।
द्वि झण मन मजा विचार करनी।
आपण माभुक पासा दिया झणा जानी।।
राजुला आपण माँ है करिछ अरज।
सुण मेरी इजा कैछा धरी बै धीरज।।
ब्यालिय्क रात इजा मैके है सपना।
मै है बेरा भेद इजा तू छिपए झना।।
क्या तुमुलै करी इजा हरिद्वार कौला।
पछ्यू दघड़ो कैरौ ब्या कणै कबूला।।
साची बतै दीणौ इजा आपणी जुबान।
क्या कबूला कैछ इजा करी ले तू ध्यान।।
कतिका कबूला चेली क्ये करिछै बात।
कस है स्वीण तिकै बेहिए कै रात।।
निछा क्ये जुमान चेली नै कुछ कबूला।
कालै शक डाल तिके ओ मेरी राजुला।।
स्वप्नों की बात चेली निमाणो चैनो।
उल्टा उल्टा सुपना ता भौत हुनी रैनो।।
अब तुम सुणी लियो मालसाई बात।
माँ हंती अरज कुछ जोड़ी बेर हाथ।।
सुण मेरी इजा कनु खास छा या बात।
स्व्प्नता हई इजा ब्याईएकै रत।।
स्वप्ना में देखि मैले ता राजुला।
च्यल तबै कये इजा जब यति ल्युला।।
सांची बतै दिए मेरी इजा भेद नि छिपाण।
द्वि दिन कै बचण इजा किलकौ चुपाण।।
कैलैता कौ छिया इजा हरिद्वार कौल।
सुनपता हांती कौछ मितरामी कौल।।
वे दिन की घात इजा प्रकटा है गेछा।
सुनपता घर मजा चेली हई गेछा।।
ब्याली राता स्वीण मजी मकणी मिलिछा।
मालसाई इजा हांती ऐसी बाता कैछा।।
नींता करी कौल च्यल नि गोय हरिद्वार।
कभणी की कौल च्यल कैकणी करार।।
कातिकौ छा सुनपत हम नि जाणनू।
मान हमरो बात च्यल सांची मै बतानू।।
निमानन मालसाई माँ की एक बात।
राजुलक ध्यान हैरौ दिन रात।।
भौतै जिद करी रैछा आपणी माँ हणी।
किलै नि बतानी इजा के हैगो तिकणी।।
कतु समझाय माँ लै निमानन जब।
महेड़ी हुकम लाग बंद करौ तब।।
मालसाई बंद करौ कमर भीतर।
मालसाई कणी हैगे राजुलै फिकर।।

                                                  ४ 


बंद हैमो मालसाई करुछा विचार।
कैले करौ हनलौ ऊ कौल हरिद्वार।।
सांचौ जो कबूल हलो म्यर पितरो की।
संगयोग करी दिया मेरी राजुलै की।।
क्या करनु कथा जानु कसा स्वीणा हया।
हला मेरा ईष्ट देवा राजुला मिलाया।।
देबौक सुमरण कुछ राजुलाक ध्यान।
पड़ी गेछा नीना तबा सुणो भगवान।।
उड़ी गोछ हंस बणिगौ घुघूती।
राजुलै कारण तुलै कास लै भुगुति।।
पंछ रैगों घुघुत छा उड़ी गो आकाश।
करण लै गोछ तब राजुला तलाश।।
उड़नै उड़नै न्हैगो भोटान्तक देश।
राजुला महल मजा करुछा प्रवेश।।
ध्वड़ मज बैठी गोछा घुघुतै पंच रंगा।
देखि बटी राजुलाकौ ध्यान हैगो भंगा।।
ऐसी बात आपस में राजुला करिछा।
कौ देशा घुघूती हली काबै आई रैछा।।
पंचरंगी पंछी सखी को देश का हया।
कस रूप रंग यक ईश्वरै की दया।।
को त्यर मुलुक हल येतु रंग वालौ।
एतुक सुन्दर तू छै देश कस हलौ।।
कस कस रंग त्यर सुंदर छा गाता।
राजुलाता घुघुता है यसी कैछा बाता।।
राजुला का हाल देखि क्या कनु कै बरा।
सुंदर घुघूत देखि नसीगे मितेरा।।
चाँदी की कटोरी मजा ल्याय खाण पीण।
कसी या घुघूती हली देखण चाहण।।
पञ्च रंगी पंछी आगो राजुला नाजीका।
तेरी बोली कणी पंछी समझू कसिका।।
घुघुतमा लागी रौछा राजुला का ध्यान। 
आज लै सुणिया तुम ईश्वरा भगवान।।
क्या धना करनू आव श्री बागनाथ।
कसी कसी समझनू प्रभु घुघूती की बात।।
इजौ कौ मैतवा हलै साच बागनाथ।
म्यर हलै मकोटी तू आज दिए साथ।।
समझी जो बोली एकी आई जो मै ज्ञाना।
सुणों मेरी अरज आजा ईश्वरा भगवाना।।
भारी भारी नेतरा छोड़ी करीछा पुकारा।
मकणी खायी दिला त्यरा पंचरंगी परा।।
राजुला पुकारा न्हैगे बगनाथा द्वारा।
कति बटी आई कनी दुखी को पुकारा।।
श्री बागनाथ तबा दयाल है जानी। 
तै बखता राजुला कै घुघूती बनानी।।
ईश्वरा भगवाना तुम दयाल है जया।
दुखियेका दुःख कणी यसिकै मिटया।।
अबा बनी गोय रामा द्वि हंसो को ज्वड़।
मन यसी हई गेई आकाश में उड़।।
ख़ुशी होई गोछा राजा मालसाई।
हे ईश्वरा भगवाना कसी जोड़ी हई।।
द्वि हंसो को जोड़ी तब उडिगे आकाश।
दिगै हंसा पूजी गयी तबा हिमालय पास।।
आकश में फैले हल पंच्रागी परा। 
उड़नै उड़नै न्हैगी मानसरोवरा।।
मानसरोवरा बटी जुहारा मुनस्यार।
तीन गजै देखि तबै सरै संसार।।
मुनस्यारा जंगल बटी भरी है उड़ान।
उड़नै उड़नै आगी भाटकोटा डान।।
अब लागी गोछ हंस मालसाई देश।
झनहौ बिछोड़ कैक झना हो प्रदेश।।
ऐसी जोड़ी सबू है जो रहै सनातना।
द्वि झणु बिछोड़ रामा कभै हवौ झना।।
आब लागी गोछ सुवा य गांधिक गिवाड़।
रंगीली बैराठ मजा राम गंगा गाड।।
ये मेरी बैराठ सुवा य म्यर महला।
उड़नै उड़नै सबै बात बतै हला।।
उड़नै उड़नै जबा वापिस है जानी।
आकाश बै राजुला के सब दिखै गया।।
दिय झण भोट हणी वापिस है जानी।
मालसाई राजुला है तब यस कनी।।
सुण मेरी राजुला तू मेरी बातू कणी।
मकणी मिलली सुवा तू कभणी।।
कसी हलो ब्याह हमर कसिक तू आलो।
दिजा तू वचन मिकै कसिक मीलली।।
श्री बागनाथ जब म्यल लै लागुछा।
सरै भोट पाली पाछो लै देखण आंछा।।
तुलै बीती सुवा मिलिए मकणी।
वती बटी घर हणी ली उला तिकणी।।
इकुलै तू आये सुवा मांख लै नि ल्यण।
बागेश्वर म्यल मजी जरूरै मिलण।।
उड़नै उड़नै न्हैगी श्री बागनाथ। 
अबा छूटी गोछा हंसी त्यर म्यर साथ।।
कसिका मी उलौ स्वामी बागनाथ म्यल।
म्यर बाप मिकणिता कसिक भेजल।।
इकलै मी कसिक औलो तिरिया की जात।
क्या बहान कूला स्वामी बता दिए बात।।
मालसाई राजुला हो कुरुछा बयान।
निज्यांणी मेरी सुवा तिरिया बहान।।
एक दिन मजा हनी कतुक चलण।
मै बतानु तिकै सुवा तिरिया लक्षण।।
पेट पीड़ा सिर पीड़ा दिलका बीमारी। 
दुनिया का जरा माथा सबै सैणी पारी।।
छाव लै झपट हय देवता मसाण।
को ज्याणी स्कूला सुवा सैणी छम बाण।।
कतुक बहान हनी यतुक बताया।
तिरिया चरित्र सुवा कतुका जै हया।।
समझिगे बातु कणी आबता राजुला।
मालसाई हांत कैछा जरूर मै ओंला।।
कबूला है गेछा अबा द्विया झण जानी।
आपसोचा पड़े हल आंसू लै ढवानी।।
अबा जा तू घर हणी रहिये भलिक।
जरुरै तू आये सुवा उतीका कौथिक।।
कसिक छोड़नू कैछा मै सुवा को साथा।
मेरी पति धरी दीया श्री बगनाथा।।
दिया पंछी उड़ी गयी उड़नि आकाश। 
आपण मनम द्विये है रयि उदास।।
झन ह्वौ स्वामी कैको यस निरभागा।
धन धन ओ तिरिया जै कैछा सुहागा।।
आपण आपण घर द्विया झण गया।
मालसाई बैराठ मै जगता है गया।।

                            ५ 


आपण माँ हंती कुछा सुण मेरी बाता।
कब हुंछा इजा म्यल श्री बगनाथा।।
मिलै जाण वती इजा कौतिक देखण।
राजुला लै आण वती मकणी मिलण।।
कभणी छा म्यल इजा बतै दे मिकणी।
बैराठ मै ल्युला इजा मै राजुला कणी।।
तब कये च्यल इजा जब यती ल्यूला।
जस हल देखि जल राजुला ब्यहुला।।
मानी तू म्यर च्यला निकरना हट।
 किलका तू जांछा च्यला बटका अबटा।।
नकरा नकर च्यला राजुलक ध्यान।
क्य हैगेछो तिकै च्यल म्यर कय मान।।
नि मानून मालसाई माँ की एक बात।
गुस्स में भरी गेछा तिरिये की जात।।
महेड़ी हुकम लगा सारा दरबार।
मालसासी बंद कर जो नि आवा भ्यार।।
छै कमरा छोड़ी सात मजा धरो।
माख लै जो नि जैसक यस बंद करो।।
सुनका पलंग लागी रेशमी कपड़ा।
मालसाई बंद हैगो कोई निछा दगड़ा।।
खात्कुली कुकुर धर वेक द्वार पार।
और धर काग एका वेक चौकीदार।।
क्वे नि जा सकुन भाई मालसाई पास।
राजुला का बिन अबा है गोछा उदास।।
रुनै रुनै मालसाई है गोछा हैरान।
दयाल है जया तुम ईश्वरा भगवन।।
रुनै रुनै मालसाई पड़ी गेछा नीन।
ईश्वर भगवान अब क्या कनी आधीन।।
भोट मज राजुलता सचेत है गेछा।
सुनपता हंता तब यसी बात कैछा।।
स्वप्न हयो बाज्यू बेलियका रात।
भेद नि छिपाण बाज्यू सांची क्या बात।।
कौल करौ हरिद्वारा तुमुलै कभणी।
पाली पछौ राज मिली स्वीणम मकणी।।
झन लिये मेरी च्यलि पाली पाछो नाम।
निगोय हरिद्वार चेली निहति फाम।।
किलै कंछा बाज्यू म्यर पाली पछौ नाम।
पछ्यू दगड़ी बाज्यू कं आछा जुमान।।
बडै छा बिखिल चेली मुलुक पछौक।
बडै उल्टी रीत बेटी नाम ना ले वीक।।
क्य बिखिल द्यख बाज्यू मुलुक पछौक।
किले कौछा खली बाज्यू बदनाम वोक।।
उनकौ उल्टी रीती बीती मकणी बताण।
तकौ बदनाम बाज्यू खाली लै निकण।।
एक बल्द वोती चेली सात मउका।
संज्याती चीज वती कतूक घरू का।।
सरै गौ का एक तौ में रोटी लै पकानी।
पछौक मुलुक चेली यस लै बतानी।।
धन धन उ मुलुका धन वोक भाग।
जति मिली रौ छा सब झणु राग।।
कतुक हनल बाज्यू उनू मज मेल।
मै देखुल ऊ मुलुक एतुक रंगील।।
राजुलै को सुनपत एक नि सुणन।
हिरदमा  लागी गोछा चेहणी का कान।।
सुण मेरी राजुला मी तिकै बतानु।
आपणी विपदा चेली तिकणी लगानू।।
एक बार मी ली गोय बकरू लदान।
बकरू का सिर खटा काटी देई कान।।
एतुक बिखिल चेली उ मुलुक हय।
भल छा काँ बटी तुलै कसी कय।।
तुमुलै क्य कय बाज्यू पछ्यू लै कणि।
बिना बाता क्वे नि दिना दुःख लै कैकणी।।
एक माण लूण दिबै छै माण गह्यो लिया।
तबता उनुलै चेली कान कट दिया।।
फिरि लकी भल बाज्यू ऊ मुलुक हय।
नि कवौ बुराई बाज्यू उ मुलुक हय।।
वोती बटी गोय चेली चौकोट इलाक।
एक माण लूण दिया द्वि माण धानुक।।
बकरू का खुटा चेली वोती टोड़ो दिया।
पछौक मुलुक चेली सरै छा देखिया।।
फिरो लको भला बाज्यू चौकोट का मैसा।
जनूलै त़ा आण दिया आपण लै देशा।।
चौकोट वै आय चेली मुलुक द्वारहाट।
उनू लै ता बकरू का सब सिर काट।।
भल हय भाग बाज्यू दया करी गया।
सीध साधा मैस वाका बची बे ए गया।।
भोटुक मुलुक हय सब मारी दीना।
बिखिल य भोट बटी क्वे घर नि जना।।
यस छा बिखिल भोट जादू को भरियो।
पछौ की बुराई बाज्यू कसिक कै दियो।।
निमाननि चेली जबा न्हैगे माँ का पास।
कब लागू म्यल इजा बागनाथ खास।।
आजी भौत दिन चेली कौतिका हय।
ईश्वरा भगवान तुम दयाल हय जय।।
जरा दिन रह गया कौतिका जब।
मनमा फिकर हैगे राजुलाका तब।।
म्यहंती चलिए कौछा तिरिया चरुण।।
क्या लगु बहान अबा क्य बतू लक्षण।।
राजुला बहान लाग पेट पीड़ हैगे।
राजुला का माँ बापू कै खबर मिलिगे।।
कसी पीड़ हैरे चेली गांउली पुछिछा।
हाता जोड़ी राजुला ता अरज करिछा।।
मरी जानू मेरी इजा रहिये भलिक।
नि देखण पाय इजा बागनाथ कौतिक।।
हिया भरी आय माक चेहैड़ी क दाग।
क्य लक लगैछै चेली ज्यौन जिया आग।।
सुनपत समझी गो राजुला की चाल।
गुस्स मजी भरी गोछ आँखी हैगी लाल।।
बार बिष मंगै हली राजुला खिलानी।
सांचि लै झूठी की तब पछ्याण लगानी।।
झूठी छिया पीड़ वीकी मरण भै गया।
मरी जानू इजा अब अरज करीछा।।
म्यर गोय दुःख इजा तू भलिक रये।
खाये पिए में इजा शोक झन कये।।
राजुलै की बात सुणी हिया भरी आय।
वार बिषा राजुला का उतारी लै दिया।।
नि बताण सैणी कणी आपण विश्वास।
निकणी तिरिये की की के बाता की आस।।
फिर कैछ पीड़ पीड़ अबा मरी जानू।
एक लै आवाज बाज्यू आई म्यर कानू।।
श्री बागनाथ म्यरा कनी कानो परा।
मैता लागी रयु राजुला तिपारा।।
त्यरता बाज्यूल एक कै रै छि जुमान।
पूजा द्युला बागनाथ है जाली संतान।।
भूली गया मैके तब यस करो।
पूज दीण यां नि आया वीक फल हैरौ।।
माख लै निल्याण पावे दगड़ आपण।
होई कवौ म्यर बाज्यू कै रौछी परण।।
होई कुछ सुनपत चेली का कारण।
यस हनी भाई लोगो सैणियो का चलण।।
राजुला मनम जब ख़ुशी हई जैछा।
आपण माँ हंता तब यसी बात कैछा।।
जब आली मिकै इजा वोति क्वे विपता। 
को करलो मेरी इजा वोति लै मदता।।
यस कनी मेरी इजा गाई लै तारिछा।
कि म्यर नामक इजा दान करी दिछा।।
एक एक कनै सब दान लै करनी।
चेलिका ब्याह मजा भाई जतु दान हुनी।।
जो जो दान हनी भाई सब करी हाल।
यस हनी भाई लोगो तिरिये की चाल।।
राजुला माँ हंता कैछा मेरी इजा सुण।
मिकणी तू दीदे इजा खाडू की पशमीण।।
रेशमी कपड़ दीदे बिंदुली सुन की।
हाथ को पौजिया दीदे हार ले गव की।।
कानू का कनफुला दीदे बुलाँक ननक की।
 सुन की चुड़िया दीदे मुनड़ी हाथ की।।
नथुली सुतुली इजा गव जंजीरा। 
खुटका पजेब माँगा सब भरपूरा।।
सब मांगी हाला तब हैगे मन कसी।
राजुला देखण लैरै पुन्यो जून कसी।।
गुड़ डई तेल थ्वड़ सुनक छतरा।
चान्दिक धुपिण लिया चान्दिक पतरा।।
पुजक समान लिवै बट्टा लागी गेछा।
वोकीय कौ ज्योड़ थाम ख़ुशी हैगेछा।।
बैठी रैये मेरी इजा मै बेर ऐ जुला।
ते बिना मै यातु दिना कसिक रहुला।।
बट घटा पन चेली बरा बरी जये।
पूजा करी बेर चेली बेरै लौटी आये।।
बटा लागि गेछ तब सुनपता चेली।
फुलिया बुरुंश जसी गुलाब कौ कलि।।
रुण लाइ रै राजुलता आंस लै  ढ़ाईछा।
आघिलै की खुटी  कणी पछिल धरीछा।।
ऐसी शोभा देखि रैछा लक्षमी समान।
धार कसी जून हई लट्ठ कसी थान।।
घर बटी दूर जब राजुला न्है गेछा।
वकरै की पाठी तबा छोड़ी भली हैछा।।
बागनाथा राजुला है नाराज है गया।
मालसाई बैराठ मै रइये रै गया।।
उनका निमित ल्याछी बकरै की पाठी।
भुली गेछ राजुलता बागनाथ बाटी।।
नाराज हैय गया रामा श्री बागनाथा। 
तब ता नि हन द्वि झणों साथा।।
दौड़ने दौड़ने न्हैगे भौत दूर जबा।
हिल मोती बिल मोती देखि हाली तबा।।
राजुला ममक चेली तब ऐसी बात कनी।
कति क चचकारी हली एसी बनी ठनि।।
पछ्याणी गी राजुला कै जबा द्वि बैणी।
यता छा राजुला कनी हमुलै नि जाणि।।
सुण मेरी दीदी कौनी आज कति जाण।
हमू कणि आज दीदी नाच दिखे जाण।।
राजुला नाचण लगी उनु हैबे दूर।
इंद्र कसी परि हैरे राजुला भरपूर।।
खुटुका घुंघुरू तब बजाण लैगेछा।
सुन चांदी जेवरा कै चमकाण लै रैछा।।
ऐसी शोभा हैइ रैछा पुन्यो कसी जून।
पाइङ्गै आंठी जस पीरु कसी बून।।
राजुला का हाल देहि हय गयी बेहाल।
आब तुम सुणि लियो आघिला का हाल।।
रामोलिका कोटा जबा राजुला ऐ गेछा।
सदुबा रमाला तब ग्वाव आई रौछा।।
वोकी लै नजर लागी राजुला पै जबा।
होसता बिगड़ी गेछा सदुबै की तबा।।
धन धन ये तिरिया धन तेरी माई।
पुन्यो कसी जून सुवा कति बटी आई।।
कसिक मनानू आब य तिरिया कणी।
फिकरता हैगे आब इनिकी मकणी।।
तब कुछ सदुबता एक खुटी नाचा। 
आँख बुजी बेर तब मुरूली बजांछा।।
बारा बीसी बखर ता नौ बीसी ढिबरा।
लगै भला द्युल कुछ य तिरिया परा।
हिट म्यर घर सुवा मेरी राणी हली।
और कामा मै करुला तू रोटी पकाली।।
बार बीसी बखरता नौ बीसी ढिबरा।
मै कटुला घास पात तू करली खबरा।।
मुमकिना निछा केछा त्यर यस कण।
मैल ब्याव बागेश्वर जरूरै छ जाण।।
सदु कुछ नि मानी तू कति जणिया।
मारी हाचा जादू तब खुट बादणिया।।
नि उठै सकनी जब खुट लै राजुला।
अब तुम सुण लियो सदुवा का हाल।।
हंसी गेछा राजुलता सदू देखि बेर।
ख़ुशी हई सदू हंस मुख खोली बेर।।
फूकिछा जहर तब राजुला सौक्याण।
सदुवा का तै बखत उड़नी पराण।।
 एक धार लट्ठी पड़ी क्वे धार कामई।
छुटी गेछा हाथ बटी रंगीला बांसुई।।
उतारुला कुछ तबा त्यर जादू कणी।
मै हाथ जोड़नू अब तू बचा मकणी।।
उतारछ जादू जब आफी हु अचेता।
दया आगे राजुला कै करिछा सचेता।।
बट्टा लागी राजुलता जंगल बीचम।
विचारा करीछा तबा राजुला मनम।।
घनघोर जंगल छा आब कथा जाण।
शेर या बागलै आज मै जरूरे खाण।।
म्यरता इजा लै कोछी निजा चेली बीती।
मरुहणि आयी गोय मै ले येती।।
जंगल बीचम रामा रुधन मचैछा।
इजका कणी याद लै करिछा।।
बटा लारे राजुलता मालसई ध्यान।
पूजी गे राजुला अब बागनाथ थान।।
राजुलाकौ रूप रंग लक्ष्मी सामन।
मालसाई मज जारै राजुलाक ध्यान।।
म्यल हैरौ बागेश्वरा बड़े भारी भीड़ा।
राजुलक दिल मजा मालसाई पीड़ा।।
दस देशा लोगा आ रै कौतिक लै यति।
हे ईश्वरा भगवाना मालसाई कति।।
गढ़ का गढावा आरै गाती लगै बेरा।
द्वारका द्वर्यावा आरै हुड़ुक ली बेरा।।
टेढ़ी टोपी वाल आरै सल्ट का सल्टिया।
चौकोट भगनौला येती ठुल बल्दिया।।
कैडरों बौडारो बटी बाइसा भै अया।
दस दस सेरक गन्या उनू परा हया।।
सुण ददा भोवलै छा बगेश्वरा म्यल।
कौतिक जरूरै जाण आबा कस हल।।
बटी हाली सिका तबा गन्या ले बादनी।
बादी बुदि बेरा तबा पूठम लटकानी।।
भुजा जसा डाई रई पछिन पूठम।
बाइस भै आई गयी दगडै म्यलम।।
उनरा झोड़ा लागी है रैछा बहार।
सुणनेरा लोगो मजा दौड़ी गेछा लहर।।

झोड़ा:- 

झोड़ गान सब भाई ठाड़ कनी कमरा। 
राजुला पै लगी गेछौ उनरी नजरा।।
आँखों मै चक्कर आगो सब गिरी गया।
एक मजा एक पड़ गण्या फूटी गया।।
गन्यानू का यसा हया म्यल मजा हाला।
इनरता झोड़ सुणी खुशी है राजुला। 
जगू जगू झोड़ा हैरौ जगु जगु गीत।
देश देशो खेल हैरौ जैकी जसा रीत।।
राजुला देखण लागी एक दना बटी।
दिल मजा ख़ुशी हैगे झोड़ा सुणी बटी।।
धन धन यो मुलुक यतुक रंगील।
सबै ढूंढी हलौ जबा मालसई नि मील।।
नि मिलन मालसई हैगेछा निराशा।
राजुला पौछि गेछा बागनाथा पासा।।
हाथ जोड़ी अरज कनु धरी बटी ध्यान।
दयाल है जाओ तुम ईश्वरा भगवान।।
मिली जो मालसाई मिकै धरी दिया पति।
सबा लोग म्यल अया मालसाई कति।।
कति म्यर मलसाई अब क्या करनू।
मिले दिया स्वामी कणी अरज करनू।।
रुनै रुनै राजुला की आँखी है गे लाल।
बागनाथ मंदिरमा फोड़िछा कपाल।।
जतूक सामान ल्याय तुमुकै चढ़ाय।
म्यर स्वामी आज यति किलका नि आय।।
भेट लै पावड़ी मिलै तुमुकै चढ़ाई।
म्यर दुःख देखि स्वामी दया लै नि आई।।
क्य करनू कथां जानू कसिक देखनू।
मालसाई कणी आब कसिक मिलनू।।
रुनै रुनै राजुला लै जोड़ी रै हाथ।
दयाल है जानी तब श्री बागनाथ।।
राजुला हालत देखि हिया भरी आंछ।
आँख मजा आंसू आनी सौण झूली जांछ।।
राजुला मनम कैंछा तबा यसि बात।
मै कुछिया द्युला तुम एति बात।।
आफी तुम रुण लगा सर्वशक्तिमान।
क्येकी शक्ति तुम मजा क्यका भगवान।।
तुमु मजा शक्ति हनो तुम किलै रुना।
हमू कणि यति जरूरै मिलाना।।
गुस्स आगो राजुला कै रुण देखि बेर।
फोड़ी दिया एक आँख आग लगै बेर।।
बागनाथ स्वामी तब नाराज है जानी।
राजुला कै तै बखत फ़िटकारा दिनी।।
झन हव भेट तेरी झन हवौ साथ।
भूली जाये बीती बाट बिगड़ी जौ बात।।
जो तिहांता विष छयो झन आवा काम।
म्यरता श्राप छा यो है जलौ बेकाम।।
जब कतौ आ फाम अली उलट है जाल।
बागनाथ वाणी छि या कसी हव भल।।
येतु सुणी राजुलाता है गेछा रमाना।
मन मजा करी रौछी मालसाई ध्याना।।
जस हल देखि जाल गिवाड़ा मै जानू।
मै अपणा मालसाई कणी मिली आनू।।
हला म्यरा ईष्ट देवा वती पुजै दिया।
मेरी पति कणि तुम आज धरी दिया।।
मंदिरा बे म्यार आई बट्टा लागि गेछा।
बागेश्वर गरूड़ बटी कौसाणी आ गेछा।।
मालसाई ध्यान हैरौ राजुला मनमा।
सुमेश्वरा बटी ऐगे बिंदिया स्यरमा।।
कहैड़ का कोटा हल कउवा कहैड़ा।
छह च्यला नौ वेक भैसिया छै बड़ा।।
नागुली भागुली भैसा बड़ कार बार।
कहैड़का कोटा रजा हे रणी जिहार।।
भगुवा हइया हल मानुछा हुकमा।
कुल लै धरण आयो बिंदिया स्यरमा।।
भगुवै नजर लागी राजुला पै जबा।
अचेत है गिरी गोछा सोच कुछा तबा।।
य तिरिया जब हनो म्यर गुसै राणी।
खबर पुजंछा तबा उकउवा कणी।।
कति गयी म्यर गुसै छह च्यल नौ नाती।
एक मिरी येतो ऐ रै कैरू कसी केती।।
पाइङ्ग की आंठी जसी पीरु कसी बून।
सरूपा राधिका जसी पुन्यो कसी जून।।
जबा हइ जानी गुसै उ तुमरी राणी।
ज्यौन लै स्वर्गा छिया देखिबै उकणी।।
च्यला नाती कामी जारै तिरिया छा कति।
पुठक पठल खोल लिकरा वोति।।
आँख चेप झूली बटी आरै नाक मजा।
घिनौड़ुक खोल होलो कखराई मजा।।
कउवा कहैड़ गोय बिंदिया स्यरमा।
नीपड़ो तिरिया कुछा म्यर नजरमा।।
भगुवलै चेप खोला लागी गै नजरा।
इनी कै पकड़ा कुछ म्यर हाथ पारा।।
राजुला पकड़े हाली कउवा का हाता।
सुण रे भगुवा कुछ अब मेरी बाता।।
बिंदिया कौ स्यरौ करौ मैलै त्यर नामा।
च्यलू हाता झन कये म्यर बद्नामा।।
पतौ नै मकणी कये क्य झन बताये।
यू स्यारू कै आज बटी तू खये कमाये।।
बटा लाग कउवाता भटकोटा डना।
बुडक लै जवान हैगो कउवा का मना।।
भटकोटा डान मिल बागको उढयार भितेरा।
राजुला लिवेरा गोय उढयार भितेरा।।
भ्यार बटी बंद कर एक मोरी धरी।
राजुला कारण त्वीलै कसी कसी करी।।
दुंग लै चाड़ूछा तब ऐसी कुछा बाता।
कस हय यो राजुला त्यर म्यर साता।।
हुई जाला मनु जबा सिला पीसी खुला।
हई जला च्यला जवा उढयार सैंतुला।।
आपण लै दिनू कणी ऐसिकै काटुला।
बाता सुणी इष्टो कणी पुकारी राजुला।।
कसी मुसीबता आयी कसिकै निभानु।
पतिव्रता धर्म कणी कसी का बचानु।।
कसिका मिलला कैछ अब मालसाई।
अघीलका हाला तुम सुणी लियो भाई।।
कउवाका च्यला नाती जबा आया घरा।
बुडै जगा खाली देखि हईगे फिकरा।।
कति गया बाज्यू कनी बुढापो उमरा।
भगुवा कै हली कनी बुडै की खबरा।।
भगू कुछा मै बतानू करी लिया फामा।
बुड़ कैगो विन्धा स्यरा सब म्यर नामा।।
स्यरता लै त्यरा नामा तू पतौ बतैदे।
हमरा लै बाज्यू कणी हमूकै दिखैदे।।
यती ऐछा एक तिरी लट्ठा कसी थाना।
उनका पछीना बुडौ है गोछा रमाना।।
द्विया झण न्है गयी भटकोटा डना।
वोति ढूँडी लिया तुम ह्नला उपना।।
येति सुणी च्यला नाती घर बटी गया।
भटकोटा डना तबा खोजण लै गया।।
खोजनै खोजनै जबा बीती पूजी गया।
च्यला कैनी बाज्यू तुम यति कति आया।।
राजुला पै लागी जबा उनरी नजरा।
नाती च्यलू कणि तबा आयी गो चक्करा।।
बुड कुछा कैदे च्यला कैजा लै पैलाक़ा।
एक बार कैदे नाती आमा लै  पैलाका।।
नाती च्यला कनी तबा पैलाका नि कनू।
य तिरिया कणि अब हम लक लिनू।।
द्विया सौ चालिसै हैय हध तेरी उमरा।
कस कछा ब्याह अब आई जावो भ्यार।।
गुस्स एगो कउवै कै आई गोछ भ्यार।
बुडै मजी पड़ी गेछा च्यल नाती मार।।
च्यल्का तरफ जांछा नाती दिनी मारी।
नाती की तरफ जांछा च्यल दिनी थूरी।।
क्य करुछा कउ अब बुढापी उमरा।
च्यल और नातियो लै टोड़ी दी कमरा।।
तब कुछा च्यल हाति सुणों मेरी बाता।
रणजीत तलवारा थमै दिया हाता।।
गरदना वील मेरो तुम काटी दिया।
भैसियो मुरूली म्यर सुख लगै दिया।।
काटौ हैचा गरदना हयो स्वर्गवास।
तिरिया कारण च्यल निउठना लास।।
च्यल कनी यो तिरिया ह्मुलै ब्याहाणि।
नाती कानी य तिरिया हमुलै ली जाणी।।
च्यल अर नातियो की ऐसी हैरे बाता।
पैली सब हिटौ कनी कूला बुड गाता।।
वेकि य तिरिया हली जो पैली ऐ जाल।
लिन्है गयी बुड़ कणि तिथाण जां छिया।
आग लगै बेर तब बुड़ छोड़ी दिया।।
दौड़ लगै बेर तब बुड़ छोड़ी दिया।
दौड़ने दौड़ने आगी बागका उढयारा।।
राजुला नि देखि जबा है गई निराशा।
करण लै रैया तब राजुला तलाशा।।
नि मिली राजुला जब तब गय घर।
बुड़ मारी हाचा कनी कव झर फर।।
काटौछा बाखर तब लगड़ा पकाया।
अधजली बुड़ कणी घाट छोड़ी आया।।
मुख परी लागै रछि भैसिया मुरूली।
बोल सुणि भैस आया भागुली नागुली।।
अधजली गुसै द्यख हिया भरी आय।
द्वी भैसों आँख मजी सौण झूली गोय।।
कसा खांछी त्यर भरा खबकी पराता।
आटा का ढिन खाया झुंगरी क भाता।।
आज गुसै कसी हय अधोगति तेरी।
आब गुसै को करलौ पालन हामरी।।
भैसूलै धकेली बेरा गाड़ खेती हाचा।
गंगा लै ऊ तैबखत छाल लगै हाचा।।
गंगा कैछा भैसौ हात यौ पापी छि बड़।
तबता च्यलौ लै येती य यसिकै ख्यड़।।
निराशा है गया भैस बीती बे ए गया।
आघील का हाल अब तुम सुणी लिया।।
जै बखत कउवा कै तिथाण ली गया।
राजुला का ईष्ट तबा दयाल है गया।।
बीती बटी राजुला ता बटा लागी गेछा।
भुलने भटकने तबा द्वारहाट  ए गेछा।।
द्वारहाट हय भाई पदुवा द्वर्यावा।
तीन पट्टी रजा हैरै विकी बड़े गावा।।
राजुला पै लागी जबा पदुवै नजरा।
होसत बिगड़ी गेछा आ गोय चक्करा।।
ककीता तिरिया छै तू कति बटी आयी।
हिट म्यर दगड़ा खाली दै दूध पराई।।
बार बीसी भैस म्यर बड़े कारबार।
एस औ आराम कली हिट म्यरा घर।।
ली गोय राजुला कणि बाँसुई का खाना।
राजुला पदुवै हाता करीछा बयाना।।
बाज्यू ल्याछी यति म्यर बाकरू लदान।
कटी काटा बकरू का हात खुटा कान।।
पदु कुछा त्यरा बाज्यू बकरा यां मारा।
बी दिना बे कनी वहा सौकक उड्यारा।।
पदुवै है राजुलता तब यस केछा।
की ल्याद्यला पाणि तुम तीस लागी रछा।।
पाणी ल्याण पदु गोय ठेकी ले बेरा।
उल्टी ठेकी धार मुड़ लागी भुली बेरा।।
सारे भिजि गोय पदु तब आई होसा।
नसी गे राजुला तब पजी कतु कोसा।।
एक डवा खुना नजी गेछी धोती।
पाणी ठेकी लीई बेर पदु आय वोति।।
मंद मंद हवा चली धोती ले हिलिछा।
मनमा पदुवा कुछ य किलै रिसेछा।।
ले तू सुवा पाणी पीले क्य बात है गेछा।
धोती उठै द्यख जब देखिया रै गोछा।।
उ उड्यार खेत बटी आगे खिन खावा।
मिताई का खावा बटी धीरे पीड़ी खावा।।
राजुला पूजी गेछा महरूबा कोटा।
सात लै भाई की बीती मिली रेछा जोटा।।
धूम धाम माहरो की बड़े कारबार।
आपण इलाक मजा है रयी जिहार।।
सात भै उघाणा गया जमीन रकमा।
गउवा पहरी कणी ली गया संगमा।।
सात भाई घ्वड़ मजा है रया सावरा।
गउवलै जती तर्बा करछ तैयारा।।
घ्वड़ सजै सैट भाई है गया रवान।
पहरी के जतीय लै कै  रौछा हैरान।।
पुकारण लागी तबा बाज्यू का बकरा।
मकणीता पुजै दिया मालसाई घर।।
चनुवा हिलाण और सेतुली बाकरी।
धरी दिया आज तुम इज्जत कै मेरी।।
पुजै दिया बैराठ मै मालसाई पासा।
ज्य करला ईष्ट म्यरा तुमरी छ आसा।।
भ्वड़ बटा पना जती गोय खावा।
गौऊ कुछा अबा म्यर आई गोछा कावा।।
है है कनै जती जबा पार लै करूछा।
दौड़ने ब्यरका बजा जतिया घुसछा।।
तबा जती छोड़ी हाछा आ गोछा बटमा।
पड़िगो राजुला तबा विका नजरमा।।
दौड़ने दौड़ने न्हैगो जा गछि महरा।
उनू कै बताछ तबा राजुला खबरा।।
तिरिया छा कुछा भली छी दिखेणी।
जरूर बनावो गुसै अपणी ले राणी।।
सात भाई आई रे राजुला का पासा।
उनू देखि राजुला है गेछा उदासा।।
हिट वे तिरिया कनी तू हमरा घर।
चारो पट्टी रजा हम ठुल कारोबार।।
राणी बणी बैठी रली करली आराम।
बैठाईछा उनुलैता राजुला घ्वड़म।।
सात भाई घरा गया ख़ुशी हया मारी।
बामणा बुलाई बेर आचवै की ठारी।।
राजुला के हई गेछा आपणी फिकरा।
हनला क्वे ईष्ट तुम मैतुवै लै म्यरा।।
धरी दिया पाती मेरी रैजो म्यर मान।
इज्जत कै धरी दिया ईश्वर भगवन।।
मण मण नेतर छोड़ो डाड़ लै मारिछा।
मेरोयो पुकार सुण गंगा माई।
कसी मुसीबत आज मिपारी आई।।
दयाल है गयी तब ईश्वर भगवाना।
राजुला का दिल मजा देयी दिया ज्ञाना।।
राजुला का आंगुली में हीर की मुनड़ी।
वाई गेयी आचवै की जै बखत घड़ी।।
हीर की अंगुठी दीदे बामण जी कणी।
आज तुम पण्डित ज्यू बचया मकणी।।
आज मेरी इज्जत कै तुम बचै दिया।
परदेश मजा मेरी लाज धरी दिया।।
जय करला बामण ज्यू धर्म बचया।
इनरा लै हात बटी मिकणी छुटया।।
पण्डित जी यस सुणी लगना मिलानी।
सात भाई हात तब यस बात कनी।।
सब लगन ठीक छिया एक बात खास।
घुसी बेरा जो लै आला तुम म्यार पास।।
कुलक्षणी सैणी छा या ध्याना लै धरणों।
येती कणी आई बेरा विलै मणि जाणो।।
धक है गे सबु कणि है गयो हैराना।
को इनि कारण कुछ आपणी ज्वै राना।।
सब कनी खोलो द्यवो समर आचल।
कनी की निकालो अलै जो चाहुचा भल।।
पकड़ी राजुला तब नंगी करि हैचा।
बगसा में बंद करी गाड़ बगै हैचा।।
कत्यूर की तरफा अब बगण लै रैछो।
मन मज मालसाई सुमरण कैछा।।
ह्नला ईष्ट देवा कत्यूर का आजा।
कत्यूर की वान छू मी धरी दिया लाजा।।
नौ लखा कत्यूर तुम आज कति गया।
मैलै मरी जाण आज तुम बैठी रया।।
कत्यूरा के बौराठ में बतानी हूरा।
आलोपा है गया आज तुम बैठी गया।।
कत्यूर की देवी तबा देखि रैछा हाल।
गुस्स मजी भर गेछा आँख हैगे लाल।।
देवी लै चिंघाड़ मारी करुछा हुकमा।
सुणि ले तू रामगंगा रहिये सतमा।।
कत्यूर की बाना छा तू दुःख झन दिए।
इनि कणी नि डुबाण सत पारा रये।।
गाड़ लै लहर मारी किनारा लगाई।
राजुलै की देवी लै तब इज्जत बचाई।।
रेशमी कपड़ दिया द्वि डाली जेवर।
राजुला पै यसी हैछा देवा की महर।।
बैराठ मै आई गेछा अब लै राजुला।
खोजणता लागी रैछा स्वामिक महला।।
पुजी गे राजुला तबा मालसाई घरा।
बुकुणी कुकुर मिलो मालसाई द्वारा।।
राजुला कै देखि कुकुर भुकूछा।
राजुला सोचण लगी यूं कसी मरुछा।।
होनहार है बे छा ईश्वरा का हाता।
बागनाथ बोल छिया बिगड़ी गे बाता।।
याद आय विष तब धमेली धरिया।
निकालो छा डब तब विषक भरिया।।
फूकी हचा विष तबा सब फैली गोय।
बैराठ मै सबु कणि विष लागी गोय।
सबता अचेत हैगो पड़ी गेछा लासा।
राजुला पुजी गेछा मालसाई पासा।।
सुनका महल द्याखा सुनका पलंगा।

राजुला बैठी गेछा मालसाई संगा।।
सुनका तखत परा मोत्यो का झालर।
हीरा छ जड़िया वेका चारपाई पर।।
मखमाला बिछा हया गद्दा रेशमी का।
चुटका बिछिया बीती खाडुकी ऊनका।।
मालसाई देखि राछा घोलक कफुबा।
खाट मजा लेटी रौछा सुनौकौ डाकुवा।
मालसाई रेइ रौछा नीन पड़ी रैछा।
उठो उठो स्वामी म्यरा बाजूला जागैछा।।
ठाड़ उठो म्यरा स्वामी निहोवौ नीराश।
राजुला बैठी रैछा यो तुमरा पास।।
तुमरा कारण स्वामी कस कस द्यख।
किलै पलट छा स्वामी अबा तुम मुख।।
तुमरा कारण मैलै द्यो निद्यख धाम।
इथां उथां लटकैछा कस खाम।।
निउठऊ मालसाई जब रुंदन मचैछा।
इथां उथां दिवारुतै सिर कै  फोड़ीछा।।
कथां जानू प्रभु अब क्या धना करनू।
मालसाई कणी अब कसिकै जगानू।।
भोट बटी यति आय तुमर कारण।
उठो म्यार स्वामी तुम निभाओ परण।।
प्राण पति उठो म्यर अब नींद त्यागो।
येती ऐरे प्राण प्यारी अब तुम जागो।।
हे ईश्वरा भगवाना क्या बात है गेछा।
आज प्रदेशा मजा मेरी लाजा जैछा।।
ह्नला ईष्ट देव कत्यूर का आजा।
धरी द्येला तुम मेरी आज येती लाजा।।
भोट्कौ मै यति आई कतू दुख पायो।
अपण माँ बाबू कणि ज्यौने छोड़ी आयो।।
इजा बाज्यू छोड़ी आय भाग फुटी गोय।
ईश्वरा भगवाना अब सब रूठी गोय।।
कालैता निदेखी इजा ये मेरी विपता।
कसी हयी आज यती मेरी अधोगता।।
राजुला कै भुकै हैगे आज कतु दिना।
कभणी टूटली कैछा मालसाई नीना।।
भितेर चाहय जब मिलिगे राजुला।
खिचड़ी बनैछा तब वती लै राजुला।।
नि उठा मालसाई जबा थालिमा परसो।
राजुला कई मालसाई छुटिगो भरसो।।
चिट्ठी लेखी हैचा तबा बनाई तश्वीर।
आज फुटो गोय स्वामी मेरी तकदीर।।
तश्वीरम बनै हैच गज की धमेली।
म्यर नाम राजुला चा सुनपतै चेली।।
वचन कारण आयु मै तुमरा पास।
है गोय वापस अब है बेरा निरास।।
तुमर कारण मैलै कस कस द्यख।
आखिर तुमुलै मिक देई ध्वक।।
ज्योंन माँ का च्येला हला भोट लै सादला।
मरी माँ का च्येल बैराठ रहला।।
नौ लाख कत्यूर हला तुम सच्चा च्येल।
अपण परण परी भोट लै सादल।।
च्येला हला भोट आया राजुला कारण।
मैता येती आयी बेर निभैगो परण।।
नौ लाख कत्यूरा कणि संग मजा लिया।
सबू कणि साथ लिबै तबा भोट आया।।
कढे भांची बेर तुम चिमटा बणया।
तौल भांची बेर स्वामी कुंडल बणया।।
जोगी भेष बनै अलख जगया।
लछी गणी महरू कै तुम शादी आया।।
उनरा हुड़ुक साड़ी कन धरी लिया।
पदुवा दूर्यावा तुम संग लिया।।
ऐसी चिट्ठी लेखी हैचा सिराछ धरीछा।
मालसाई मुख फरी रुंदन मचैछा।।
पलटी गे आज मेर लिजी धरती माता।
छन दिन म्यर लिजी पड़ी गेछा राता।।
झन हयो कैक रामा यस निरभागा।
हिरदमा लागी रैछा विरहा की आग।।
सेई रया म्यार स्वामी अबता मी जानू।
कलेजी का आग कणि कसिका बुझानू।।
द्वि हातुलै छाती पीटी कपाला फोड़ीछा।
लट्ठ कस थाना कणी हाथू लै हिलैछा।।
मालसाई खुट मजा सीस लै नवाई।
हाथ जोड़ी बेर तबा बट्टा लागी ग्याई।।
कस छिया यौ मुलुक म्यर निरभागा।
आज छुटी गोय रामा मिलिया सुहागा।।
आज रूठी गया म्यर सब भगवान।
बैराठ बे राजुला है गेछ रवान।।
राजुला पहुची गेछा आपण लै घरा।
राजुला माभू कणि खुशी है आपण।।
ख़ुशी हैगे इजा बाज्यू धरी लिया ध्यान।
आब मालसाई को मै लेखुनौ बयान।।
बागनाथ बोल छिया राजुला कै जबा।
बैराठ मै बिष लाग सबु कणि तबा।।
भेट झन हवौ कौछि सुण ले राजुला।
राजुला जणम तबा उठा नना ठुला।।
जागत है गोछ अबा मालसाई।
राजुला कौ ध्यान आय रुंधन मचाई।।
थालिम भोजन देखि चिट्ठी लै सिराण।
तश्वीरा देखि बेरा उड़नी पराण।।
सारो चिट्ठी पड़ा जबा उठिगो जहरा।
महैड़ी कै पूजी गेछा च्यलै की खबरा।।
पागल है गोछा कनी राजा मालसाई।
ठ्यका जसा सिर मजा आनण है गई।।
धरमा देवी पूजी गेछा मालसाई पासा।
क्या हैगोछा तिकै च्यला बात बता खासा।।
राजुला यां ऐछा इजा चिट्ठी लेखी गेछा।
मकणी उ अबा इजा कसीका मिलिछा।।
क्या हैगोछा च्यला तिकै कसी कैछा बात।
भोटकी यां कसी आली तिरिया की जात।।
नौ लखा कत्यूर लिबै जब भोट जूला।
भोट जीती इजा राजुला ब्याहुला।।
मालसाई हाल देखि माँ कैछी सवाल।
क्य हणी बुलौछा च्यला ज्यौन जिया काल।।
निजा च्यला भोट देशा हट करी बेरा।
क्वे नि आय भोट बटी ज्यौनै लौटी बेरा।।
जादू का पढिया हनी वोति मारी दिनी।
उनरा सामणी मजी कैकि निचली।।
मानी जा तू कोय च्यला नजा भोट हणी।
राजुला है भली बाना खोजुला त्यहणी।।
सुण म्यरा मालसाई मान मेरी बात।
तिकणी दिखुला च्यला सैणै की स्याराम।।
ऊ म्याला में आनि च्यला आठ पट्टी सैणी।
भलौ जो द्यखलै च्यला बतये मकणी।।
त्यर ब्यौ करै द्यौला फिरी देखि जालि।
छाटी लिये म्यर च्यला राजुला है भली।।
वीक बाद द्वारहाट स्याल्दे म्यला जूला।
भली भली बाना वोति त्यहणी खोजूला।।
सोमनाथ हल च्यला गांधी का गीवांड़ा।
वोक दशरा च्यला हिटिए दगड़ा।।
मन कसी बान च्यला वोति खोजी लिए।
घर आबै उनी नामा राजुला धरिए।।
जतू म्यला हनी च्यला सबता देखुला।
जस हल देखि जल त्यर ब्यौ करुला।।
यस समझाय माँ लै मालसाई जबा।
जिद करी मालसाई बाता कुछा तबा।।
मैता नि मानून इजा तेरी एक बाता।
जस हल भुगुतला राजुला परतापा।।
सुख म्यरा च्यला कैछा निकना गुमाना।
नि रहौय आज तका कैको अभिमाना।।
लंका पति रावण छौ कस बलवाना।
नष्ट हई गोय च्यला उलकी निधाना।।
तिकणी बातानू च्यला करिये विश्वासा।
कतू बार वेलै च्यला हिलै दी कैलाशा।।
सुनकी लंका वेकि सुनका महला।
इन्द्रजीत जसा छिया रावण का च्यला।।
सीता जी कारण च्यला बिगड़ी गे बात।
सारै सुणै लंका मजी पड़ी गे रात।।
सीता जी कारण वेक एक लै  निरय।
सारै सुनै लंका जली अफ लै मरी गोय।।
कोचक राक्षस छिया बड़े बलवाना।
द्रोपदी कारण वीकी न्है गेयी ज्याना।।
सासु को ता निरै च्यला हमता क्या हया।
नजा च्यला भोट देश मानी जा तू कया।।
सैणियो का फन्दा मजा जो मैसा पड़लौ।
एक दिन जरूर ऊ ध्वक खायी जालौ।।
मानी जा तू म्यर च्यला निजा भोट हणी।
क्य करली अबता य तेरी पैलि सैणी।।
घर बार त्यरा च्यला इतरा छौ राज।
रंगीलो बैराठ कणी न उजाण आज।।
भोट मजा च्यला त्वीलै बड़ो दुःख पाण।
खेल निछा भोट बटी राजुला जितण।।
निमानून मालसाई माँ की एक बात।
सबता करणी हयी ईश्वरा का हात।।
मालसाई पूजी गोछा कत्यूरा का पास।
दगड़ी हिट्लौकबै करी रैछा आस।।
कत्यूर ता भोट हणी मंजूर निहाना।
बिखिल उ भोट देशा हम नि जाना।।
गुस्स हैबे मालसाई गुरु घरा।
पकड़ुछा मालसाई ढोल बिजै सारा।।
ढोल तब बाजी गोछा आ गेछा आवाज।
सब लै कत्यूर आगि छोड़ी कामकाज।।
ढोल की आवाज गेई बैराठ तमान।
नाचण भै गया तुम कत्यूर नामान।।
क्य विपता पड़ी गेछा बैराठ तमान।
किलैकता आई हली ढोल की आवाज।।
उठिगो जहरा जब छलांगा लगानी।
रंगीला बैराठ मजा को एगोछ कनी।।
जौ जै रछी जती काय सब आयी गया।
कत्यूरा गुरु का घर जम हयी गया।।
ढोल पर शक्ति छीया सब आई गया।
 भोट जणा मजी सब मंजूर है गया।।
बुलै हैचा नाई तब सिर लै मुंडानी।
नौ लखा कत्यूर तब जोग बनी जानी।।
भाचो हाली कढे तब चिमटा बणाया।
तौला भांची बेर तब कुंडला बणाया।।
चलना कत्यूर तब कान लै फाड़नी।
रंगीला बैराठ मजा अलख जगानी।।
क्षत्रिय वंशी राजा छियो जोगी बनी गया।
राजुला कारण आज भोट देश गया।।
नि कण गुमान भाई धरी लिया ध्यान।
मालसाई मन मजा यस आयी ज्ञान।।
अनू की नि आनू भोट बटी घर। 
म्यर लै दगड़ा गया नौ लाख कत्यूर।।
भोट देश जाण लारू नाच देखि जूला।
बुलावो विजना कणि गीत सुणी जूला।।
को ज्याणी सकुना कय क्य हैछा पछीना।
भोट जीती बटी ल्याणी आयुछा कैदिना।।
ऐसी बाता सुणी जब मालसाई रणि लै।
यू ता गया भोट हणी याँ क्य कणी मैलै।।
बैठ गे कुमति तब मन मा विचारा।
कमसेणा राणी न्हैगे विजन का घरा।।
विजनै है बाता कैछा धरी लिये ध्याना।
मालसाई बर द्यलौ तिकणी निधाना।।
तै बखता मांगी लिया तुम लै मकणी।
मकणी दीदियो कया कमसेणा राणी।।
तबता विजना कुछ यस कसी हल।
मालसाई ते बखत मिति मारी द्यल।।
मैलै नि मांगण कुछा यस बर बोली।
तुमुलतै करी दिया बाता अनहोनी।।
कमसेणा राणी कुछा सुण मेरी बात।
विजनै लै कैछा कुला म्याहा बुरी बात।।
यात मैके मांगी लिए नतरा देखलै।
म्यार फंदों बटी आज कसीका बचलै।।
विजना आगोछा तब नच्याण ली बेरा।
सबू दिल ख़ुशी हैगो नाच देखि बेरा।।
मांग रै वीजना कय मन कस घर।
ज्याणी कब आलू हम भोट बटी घर।।
पैल मांगी विजना लै तीन वचन।
पछीना कमसेणा राणी मांगुछा विजना।।
मालसाई तै बखता टूटीगे कमर।
विजनै लै करी दियो आज या अंधेर।।
राणी की करतूत छा या बामणै लै कय।
मालसाई कणी तब सबुलै समझाय।।
मालसाई मन मजा करुछा विचार।
घरै बटी देखि गेछा हमरी यौ हार।।
घरै की जू राणी छिया उ लै गोय हारी।
ज्याणी यो खोपड़ी अब आघिला क्यकारी।।
देखि जाल जस हल राजुला कारण।
चाहे भोट मरी जूला नि छोड़ू परण।।
चलना कत्यूरा तब बटा लागी गया।
कानू का कुंडल तब हिलाण लै गया।।
गज का चिमटा तब हाथ लै थामनी।
नौ लाख कत्यूर सब अलख जगानी।।
जै जिया जै गुरु कनी नौ लाख कत्यूर।
पदुवा दर्याव गोय भरी सूर बीर।।
राजुला कारण आज बैराठ छोड़नी।
क्षत्री वंशी रजा अब अलख जगानी।।
कत्यूर की फ़ौज न्हैगे महरू का कोट।
महरू का दिल मज लागी गेछ चोट।।
कत्यूर का जाण मज उठी गोछ रेत।
लछ गछा मेहरता है गयी सचेत।।
क्य बात है गेछा आज कावै उड़ी धूल।
को ए रौछा फ़ौज लिवै सब मरी द्यूल।।
लछ गछ मेहरता है गया तैयार।
साब भाई घ्वड़ मजा है गया सवार।।
महरू का कोट पूजा चलना कत्यूर।
महरू पै बिगड़ी गी बिगैर कसूर।।
मार काट मची गेछ द्वि दखु बीचमा।
क्षत्री वंशी च्यला छिया पड़ी गी रणमा।।
भरी गयी गुस्सा मजा हैगे मार मार।
खूनै कोता गंगा बगी लासो की दीवार।।
चलना कत्यूर कणी उठी रै छा जहरा।
कत्यूर दगड़ अब निपड़नी पारा।।
सब मारा बेर तब बनाय मैदान।
बट्टा लागी गया तब कत्यूरा नामान।।
सात भाई लछा गछा सब मारी हाली।
महरू की कुड़ी कणी करी गया खाली।।
चलना कत्यूर गया भटकोट डना। 
काउवका च्येलो कणी मारी गो उपना।।
छिण पणी लुतलेख गया सुमेश्वरा।
कोस्याणी का खोल छोड़ी लाग बगेश्वरा।।
कठैती की बाड़ी गया सरयू है पारा।
जूहार खनकर छट लाग मुन्स्यारा।।
नौ लाख कत्यूर पूजा घिनड़ी का खेता।
लागी गोछ भोटकनी है जावो सचेता।।
गुरुलै मंतरा मारा बनाया घिनौड़ा।
नौ लाख कत्यूर तब आकाश मै उड़ा।।
घिनड़ीक खेत है रौनी ढक घास।
खबरा पहुची गेछा सुनपत पास।।
सुनपत सौक तब है गेछा तैयारा।
गुरु कणी बुलै बेरा मारनी मंतरा।।
कत्यूर घिनड़ा छिवा सौक बना बाजा।
जादो की लै मार हैरै द्विये दलों मजा।।
बाज देखि गुरु तबा जादू लै मारी।
नौ लाख घिनड़ कणी बिराव लै बनानी।।
गुर गरु मज हैरे जादू की लै मार।
बड़ो युद्ध हई रौछा है रे हा हाकार।।
येतुका बीचम तब मालसाई खास।
घुगुत बणाई भेजौ राजुला का पास।।
घुगुत पहुची गेछा राजुला का द्वारा।
तबा लागी गेछा भाई राजुला नजारा।।
सुण सखी यो घुगुत कै देश कौ हलौ।
येतुक सुन्दर रंग मकणी खै द्येलौ।।
तू यकणी देखि रये मी पिंजड़ा ल्यानू।
सुनका पिंजड़ा मजी इकणी पालनू।।
राजुला भितेर गेयी बिरावा छि भ्यारा।
घुगुतौ पकड़ी वीलै बनाय शिकारा।।
सखी लै किलकारी मारी राजुला ली सुणी।
बिरावैलै मारी हाचा यौ घुगुतै कणी।।
भ्यार आई बेरा तबा आंसू लै ढाईछा।
बिरावा मुख बटी घुगुत छुटैछा।।
कतीक जनम त्यर का आये मरण।
ज्याणी येती आई आछिये तू क्या बाता कारण।।
घुगुतै कणी सपना मचैछा।
मरिया घुगुता कणी पिंजरै धरीछा।।
फूलू का पेड़ मा कैछा पिंजड़ा टांकुला।
राती ब्याल फुलु कणी पाणी दिण ऊला।।
उड़ी गोछा हंसा तबा पड़ी रैछा लासा।
स्वप्न मा पूजी गोछा तबा गुरूजी का पासा।।
मारी गोय मी गुरूजी राजुला का द्वारा।
सुनका पिंजड़ा मजा धरी रयु भ्यारा।।
गुरूजी की नीन खुली उज्याव है बेरा।
एक लै कत्यूर भेजा बाज बनै बेरा।।
पिंजरा तू उठै लिए डर झन खाए।
रुकणौ को काम निछा बेरे लौटी अये।।
बाज बनी नसी गोछा पिंजर उठाय।
घुगुती समेत लिबै गुरु पासा आय।।
पड़नी मनर गुरु जीविता बनानी।
नौ लाखा कत्यूर सबा खुशी हुई जानी।।
फिरौ मालसाई कणी बनायो फकीरा।
भोट हणी नसी गोछा क्षत्री वंशी वीरा।।
राजुला का द्वार परा अलख जगाई।
भिक्षा दिण कणी सखी आई।।
नि ल्येनू मै कोरी भिक्षा चाहे कुछ करा।
राजुला कुमारी कणी भेजी दे तू भ्यारा।।
कुवारी च्येलीक हाता मिल भिक्षा पाणी।
नतरा सरापा दीनू आज तुमु कणी।।
लाचार है बेरा सखी नसिगे भितेरा।
सरापा दी जानू कौछा गुस्सम है बेरा।।
दी आ तू राजुला भिक्षा साधू कणी।
नतरा फिटकार द्यल आज हमू कणी।।
आ गेछा राजुला भितेरा बे भ्यारा।
भिक्षा दिण लागी जबा साधू हाता परा।।
नि लिनू मै कोरी भिक्षा कति यो पकाणों।
दया जै करछा भोजना खिलाणौ।।
क्य करिछा राजुलता है गेछा उदासा।
कसीका भेजनु आबा साधू कै वापसा।।
भोजन बनाया तबा भ्यार बे बुलाय।
साधू जी भोजन करौ राजुला लै कय।।
सिद्ध महात्मा कनी सेवा पूरी करौ।
पैलि धुणी खुटा म्यरा पै भोजन धरौ।।
येतु मै राजुला कैछा यो कसीक हलौ।
पतिव्रता धर्म म्यर सब डूबी जालौ।।
सिद्ध महात्मा कनी मैता नि जाणनू।
या धुलाली खुट म्यारा या सरापा दिनू।।
राजुला कै हैगेछा आपणी फिकरा।
खुट धुनु पति धर्म है जाछ बेकार।।
पाणी क लोटिया लियो दूर बै फेकिछा।
पाणी का डालणा मजा खुट चमकैछा।।
राजुलता मन मजा करिछा विचार।
साधू निछा महात्मा छा राजकुमार।।
पछ्याणी दिया झण खुशी हई गई।
खुशी खुशी राजुला लै द्वि खुट ध्वयी।।
एक थाली मजा कना दगडै भोजना।
खुशी लैता  भरी रौछा दिया झणु मना।।
हिट मेरी राजुला तू अब नसी जुला।
घिनड़ी खेतम फिरि आराम करूल।।
द्विया झण न्हैगे घिनौड़ी खेतमा। 
खल बलि मची गेछा राज महलमा।।
चोरी गे राजुला कनी कत्यूर ली गया।
भोटीयु का गुरु तबै तैयार है गया।।
भोटियो का गुरु तबा जादू लै मारनी।
जतूका भोटिया छिया सरप बननी।।
कत्यूर का गुरु जबा यु हाला देखनी।
नौ लाख कत्यूर कणी नेवला बनानी।।
मारा काटा मचिगे द्विनू का बीचमा।
जंग छिड़ी रैछा रामा घिनौड़ी खेतमा।।
घबड़ाई बेर भोट अग्नि बरसानी।
नौ लाख कत्यूर तबा जलण भै जानी।।
कत्यूर का गुरु तबा बारिसा बरसानी।
सौण भादौ कसी भाई झड़ी लगै दिनी।।
जादू कै लै मारा है रे बड़ी जोरा।
सारा भोट मजा भाई मची गोछा सौरा।।
भोटियू लै आकाश में धुँआ लै फैलाय।
कत्यूर का गुरु जी लै तूफ़ान चलाय।।
चलो गोछा आंधी हैगो हा हाकार।
कत्यूर डेगड़ हैगो भोटियो की हार।।
जीती गया अबा कनी तुमुलै राजुला।
विधि विधान लै अबा ब्याह करी द्युला।।
एक दिना रुकी जावो आरामा करला।
मितुरा है गया अबा भोजना करला।।
येतु मजा पदु कुछा मैता अब जानू।
भैस म्यर भुकै हल अब नि रुकनू।।
पदुवता घर आय कत्यूर लै उती।
हरी भगवाना सबा देई दिनी मती।।
बैठिगे कुमतो तबा वीती रुकी जानी।
सौक लै कत्यूर हणी लगड़ा पकानी।।
नौ डाली लगड़ा बना अधुका बिषका।
कत्यूर दगड़ी भाई यस कनी ध्वका।।
नौ डाली लगड़ा ल्याया कत्यूर का पासा।
भोटियू कत्यूर कै नि आना विश्वासा।।
क्षत्री वंशी च्यला छिया अजमैसा कना।
एक लगड़ उठै बेरा कुकुर कै दिना।।
किस्मत बिगड़ी गे तब कत्यूर की।
कुकुरै कै लगड़ न्हैगे बिगर बिष की।।
तब कनी के निय हय ये कुकुर कणी।
को ज्याणी सकूछा रामा ईश्वर करणी।।
राजुला समेत बैठा करनी भोजना।
कसी माया रची रेछा ईश्वरा भगवाना।।
नौलखा कत्यूर कणी बिष लागी गोछा।
हंसी उड़ी गोछा रामा लाश पड़ी रौछा।।
भोट रहै गया आज राजुला कारण।
हरे रामा हरे कृष्णा उड़नी पराण।।
कामयाब हई गया भोटियो की चाल।
कत्यूर दगड़ भाई बुरो रचौ जाल।।
खुशी हई गया तबै भोटिया तमान।
कसी सोची घर बटी क्य हय निधान।।
ज्यौन जिया राजा छिया रंगीली बैराठ।
आज दुनिया मा कनी सबा पूज पाठ।।
धन धन तुम देवा धन छा महिमा।
अमरा है गोछा आज नाम दुनिया मा।।
तुमु कणी पूजा दिनी देवता समान।
गरीब पै दया कण या तुमार काम।।
तुमारी लै पूजा हैचा घर घरू आज।
जाकणी विपता पड़ो करनी अरज।।
अबा सुणी लिछा तुम गरीबु पुकार।
दयाल है जया तू नौ लाख कत्यूरा।।
रोज जय जय कारा रैजो तुमर दरबारा।
दुनियामा नामा रैजो धरती की चारा।।
सबु पति धरी दिया ईश्वरा भगवाना।
गरीब छू लोग हम मूरख अज्ञाना।।
य किताब मजा लेखी तुमर ब्यान।
तुमरा शरण छू मै धरी दिया ध्यान।।
नौ लाख कत्यूरा तुम दयाला है जया।
पढनेरा सुणनेरा अमर की काया।।
धन धन हरी तुम धन तेरी माया।
कसा कसा खेल स्वामी तुमुलै रचाया।।
गरीबू की पति प्रभु तुमुलै धरणी।
तुमरा छा हाता स्वामी सब लै करणी।।


अनोप सिंह नेगी (खुदेड़)


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